Thursday, 11 January 2018

हास्य

भरल ओसारी होखे लागल , आँखियन से संवाद,
पल भर में तू क देहलु ,ई खाली हदय अबाद,
खाली ह्रदय अबाद, भइल जिनिगी मोर हरियर,
लेकिन भइल तबाह,एहि चक्कर मे केरियर।

नाँचल मन मयूर,उड़े दिन रात आकाश,
जइसे चातक करत रहे स्वाति के आस,
रहे स्वाति के आस,दमके तोहर आभा मंडल,
सास बनल ललिता पवार , डललस खरमण्डल।

 तय भइल बियाह  तोहार ,हमके फेरा में डाललू,
एकर उलटा धार, हमके मझधार में छोडलू,
मझधार में छोडलू , तू गइलु ससुरारी,
एने अर्थी उठावे क, होखे लागल तैयारी।



अनूप राय

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