Friday, 7 October 2022

टाइगर्स_ओवर_सरगोधा

 #टाइगर्स_ओवर_सरगोधा


1965 में भारतीय वायुसेना के पास अर्ली वॉर्निंग राडार सिस्टम नहीं थे। ये उस समय की स्टे्ट ऑफ आर्ट टेक्नोलॉजी थी लेकिन हमारे पड़ोसी पाकिस्तान पर उस वक्त अंकल सैम मेहरबान थे और उनके दिए हुए राडार, फाइटर्स, टैंक और अन्य युद्धक साजो सामान के दम पर अयूब खान को कश्मीर लेने की सूझी और 65 का युद्ध प्रारंभ हो गया। पाकिस्तान ने जब अपनी पूरी शक्ति कश्मीर पर केंद्रित कर दी और भारतीय वायुसेना द्वारा भारतीय सेना को क्लोज एयर सपोर्ट, सप्लाई, कैजुअल्टी इवैक्युवेशन और काउन्टर ऑफेंसिव ऑपरेशन्स से रोकने के लिए वायुसेना के प्रमुख स्टेशनों पर भारी बमबारी की जिसमें भारत के बहुत से विमान रनवे और अपने हैंगर्स में नष्ट हुए तब पाकिस्तानी एयरफोर्स को ऐसा उत्तर देना आवश्यक हो गया जिससे पाकिस्तानी एयरफोर्स के हौसले पस्त हो जाएं। उस समय वायुसेना प्रमुख थे एयर चीफ़ मार्शल अर्जन सिंह, उन्होंने अपने टॉप कमांडर्स के साथ मीटिंग की और लक्ष्य चुना गया सरगोधा। पाकिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे सुरक्षित एयरफोर्स स्टेशन, पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से 241 किलोमीटर दक्षिण में स्थित इस एयरफोर्स स्टेशन पर डायरेक्ट बॉम्बिंग ऑपरेशन की लपटों की गर्मी इस्लामाबाद को ख़ुश्क कर सकती थी इसीलिए यह आवश्यक था कि मिशन पूरी तरह गोपनीय रहे।


6 सितंबर 1965 को पाकिस्तान ने हलवारा, पठानकोट एयरफोर्स स्टेशनों पर पुनः बमबारी की और इसमें हैंगरो में खड़े कई विमान नष्ट हुए, संतोष की बात केवल यह थी कि दोनों पाकिस्तानी P86 सैबर्स हलवारा में दो भारतीय हंटर जेट्स का शिकार हो गए थे। 6 सितंबर की रात ही नम्बर 01 स्क्वॉड्रन 'टाईगर्स' के कमांडिंग ऑफिसर विंग कमांडर ओपी तनेजा ने अपने फाइटर पायलट्स को ब्रीफिंग रूम में बुलाया। ब्रीफिंग बोर्ड पर 12 फाइटर्स की फॉर्मेशन और सभी पायलट्स की पोजिशन मार्क की हुई थी, ऑर्डर्स थे सुबह 5 बजकर 28 मिनट पर उड़ान भरनी है और पाकिस्तानी राडार्स को धोखा देने के लिए जमीन से 300 फीट की ऊँचाई पर उड़ान भरते हुए ठीक 5 बजकर 58 मिनट पर सरगोधा पर हमला करना है। अंधेरे में नेविगेशन के लिए केवल कंपास और स्टॉप वाच का प्रयोग करने के आदेश थे क्योंकि मैप रीडिंग सम्भव नहीं थी। फॉर्मेशन को खुद विंग कमांडर तनेजा ने कमांड करने का निर्णय लिया था। अब पाकिस्तान की सीमा के 100 मील अंदर घुसकर सबसे मजबूत किलेबंदी वाले एयरबेस पर हमला कर लौट आना कोई आसान काम तो था नहीं इसलिए युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरू हुईं। नम्बर 1 स्क्वॉड्रन के फाइटर प्लेन  Mystere मार्क 4 a को हथियारों से लैस किया गया। इतने लंबे मिशन में पाकिस्तानी जेट्स द्वारा इंटरसेप्ट करने पर और अटैक के दौरान पाकिस्तानी जेट्स का सामना होने पर डॉग फ़ाइट्स के लिए सबसे जरूरी चीज थी फ़्यूल, सारे मिस्टर्स में 2-2 ऑग्जिलरी फ़्यूलड्रॉप टैंक्स जोड़े गए जो विमानों की रेंज बढ़ा देते हैं। सभी पायलट्स अपने अपने जेट्स के पास खड़े होकर फ़्यूल भरवा रहे थे और तब तक फ़्यूल भरवाया जबतक फ़्यूल टैंक से ओवरफ्लो नहीं होने लगा। आखिर एक-एक बूंद कीमती साबित होनी थी मिशन में। 


ऑपरेशन रूम में निश्चित हुआ कि विंग कमांडर तनेजा अटैकिंग ग्रुप के पहले 4 फाइटर्स को लीड करेंगे जो 8 × T- 10 रॉकेट्स और अपनी 30 mm ऑटो कैनन गन से हमला करेंगे। स्क्वॉड्रन लीडर डैनी दूसरे 4 अटैकिंग मिस्टर्स को लीड करेंगे जो 2x18 SNEB रॉकेट्स और 30 mm मेन गन से लैस थे। बॉम्बिंग फॉर्मेशन कमांडर स्क्वॉड्रन लीडर सुदर्शन हांडा 1000-1000 पाउंड्स के दो बम और ऑटो कैनन से सज्जित अंतिम 4 मिस्टर्स को लीड कर रहे थे। चूँकि टारगेट की दूरी ज्यादा थी और पूरी तरह से हथियार बन्द मिस्टर्स को केवल 300 फीट की ऊँचाई पर उड़ान भरनी थी इसलिए अधिकतम स्पीड 120 मील प्रति घण्टा निश्चित की गई। यूँ तो इतनी कम ऊंचाई पर विमान उड़ाते समय उनकी स्पीड ज्यादा रखी जाती है जिससे आवश्यकतानुसार विमान को तेजी से ऊपर नीचे दाएं बाएं मनचाहे तरीके से मैन्यूवर किया जा सके लेकिन कम ऊंचाई पर अधिक स्पीड से उड़ने का अर्थ था कि अधिक फ़्यूल कंजप्शन जो हमले के बाद पायलट्स को वापसी में खतरा पैदा कर सकता था। सभी 12 पायलट्स को सरगोधा पर अलग अलग टारगेट चिन्हित कर दिए गए थे। सारी तैयारियां करने के बाद टेकऑफ़ टाइम का इंतजार किया जाने लगा। 


समय पर टेकऑफ़ हुआ और हमला भी लेकिन केवल अटैकिंग मिशन सफल हुआ न की बॉम्बिंग; रात के अंधेरे में टेकऑफ़ करने और रेडियो साइलेन्स के कारण स्क्वॉड्रन लीडर फिलिप राजकुमार फॉर्मेशन से अलग हो गए और बहुत प्रयास करने के बाद भी फॉर्मेशन तक नहीं पहुंच पाए तो वापस लौट आये, सरगोधा के ऊपर स्क्वॉड्रन लीडर हांडा के बॉम्बिंग ग्रुप ने एक भी बम ड्रॉप नहीं किया क्योंकि घुप्प अंधेरे के बीच एक भी उन्हें टारगेट ही कन्फर्म नहीं हुए थे, फॉर्मेशन जब वापस हलवारा लौटी तो स्क्वॉड्रन लीडर अजमदा बी देवैय्या उसके साथ नहीं लौटे और उनकी खबर किसी को नहीं थी, किसी ने उनके विमान को हिट होते, क्रैश होते या देवैय्या को इजेक्ट होते नहीं देखा था। विंग कमांडर तनेजा ने ब्रीफिंग में साफ कहा कि हांडा की बॉम्बिंग रेड की असफलता अनएक्सेप्टेबल है और हांडा के ग्रुप को दूसरी रेड दिन की रोशनी में सुबह 9:45 पर करनी है। पूरी स्क्वॉड्रन सन्न रह गयी ये सुनकर। दिन की रोशनी में हमले का अर्थ था कि शायद ही कोई वापस जिंदा लौटे। एयरबेस की एंटी एयरक्राफ्ट गन्स को पूरा मौका मिलेगा सटीक और प्रभावशाली फायरिंग का, साथ ही अगर पाकिस्तानी फाइटर्स को उड़ान भरने का मौका मिल गया तो अटैकिंग मिशन डिफेंसिव हो जाएगा और इन सबके बावजूद लौटते वक्त पाकिस्तानी इंटरसेप्टर फाइटर्स का डर साथ ही इनसे बचने या डॉग फ़ाइट्स में उलझने पर लौटते समय फ़्यूल की कमी भी हो गयी तो क्रैश या दुश्मन की सीमा में इजेक्ट करने की मजबूरी। लेकिन सरगोधा पर हमला इतना महत्वपूर्ण था कि चारों पायलट्स ने ये खतरा उठाने का निश्चय किया, विमानों को फिर से रॉकेट्स और बमों से सज्ज किया गया, एक्स्ट्रा फ़्यूल, ऑग्जिलरी पैराशूट अर्थात सभी तैयारियां की गईं और फिर से उड़ान भरी गयी। 


सीमा पार करने के कुछ देर बाद ही सरगोधा जाने वाली रेलवे लाईन दिखी और फॉर्मेशन उसकी ओर मुड़ गयी। यहाँ सभी ने अपनी स्पीड बढ़ाई और टैक्टिकल स्पीड पर पहुंचने के बाद सारे हथियारों के सेफ़्टी लॉक ऑफ कर दिए गए। 2 मिनट के अंदर ही सरगोधा एयरबेस दिखाई देने लगा, चारों पायलटों ने आसमान में पाकिस्तानी जेट्स की तलाश में निगाहें फेरीं और तत्काल कोई खतरा न पाकर अपने दिए हुए टारगेट्स की पहचान और उनपर हमले की तैयारियों में जुट गए। स्क्वॉड्रन लीडर हॉन्डा ने अपने बम फ़्यूल स्टोरेज डंप पर गिराए और वापस मुड़कर ऑपरेशनल रेडिनेस प्लेटफॉर्म पर खड़े 3 सैबर और एक 104 स्टार फाईटर को अपनी ऑटो कैनन से नष्ट कर दिया, इधर फ़्लाइट लेफ्टिनेंट फिलिप राजकुमार ने भी अपने बम मिसाईल स्टोरेज डंप पर गिराए, नीचे से पाकिस्तानी एंटी एयरक्राफ्ट गनों से बेहिसाब फायरिंग शुरू हो चुकी थी। लेकिन एक भी राउंड किसी भी एयरक्राफ्ट में हिट नहीं हुआ था। फ़्लाइट लेफ्टिनेंट डीएस बरार और फ्लाइट लेफ्टिनेंट डीएस कहाई ने भी अपने बम एयरक्राफ्ट हैंगर और नीचे खड़े पाकिस्तानी सैबर जेट्स के ऊपर छोड़े। हमले के बाद लौटते हुए फिलिप राजकुमार ने अपना फ़्यूलगेज चेक किया क्योंकि टेकऑफ़ के पहले प्लान के अनुसार उन्हें केवल 2 मिनट तक फुल थ्रोटल में उड़ान भरनी थी लेकिन फ़्लाइट लेफ्टिनेंट डीएस बरार ने एंटी एयरक्राफ्ट फ़ायर को पाकिस्तानी फाइटर समझा और उनके रेडियो सिग्नल पर फॉर्मेशन कमांडर हांडा ने फुल पॉवर का आदेश दिया और सभी लगभग 8 मिनट तक फुल पॉवर में उड़ान भरते रहे और अब फ़्यूल गेज तेजी से नीचे जा रहा था, फिलिप राजकुमार ने हॉन्डा को ये सूचना दी और फ़्यूल बचाने के लिए जमीन से 50 फुट की ऊंचाई पर उड़ना शुरू किया गया, फिलिप राजकुमार हांडा से पीछे 30 फुट ऊपर उड़ रहे थे जिससे वो आसमान में किसी पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट की उपस्थिति की सूचना दे सकें। लाहौर से आगे बढ़ने पर राजकुमार ने एक पाकिस्तानी जेट देखा और इसकी सूचना देने पर हांडा ने फिर से फुल पॉवर का आदेश दिया और जैसे ही फॉर्मेशन ने भारतीय सीमा में प्रवेश किया राजकुमार के फ़्यूल गेज की रेड लाईट्स जल गईं जिसका मतलब था कि उस स्पीड पर केवल 10 मिनट की उड़ान का फ़्यूल शेष है उनके पास। उन्होंने इसकी सूचना हांडा को दी, हांडा ने कहा तुम इंडियन टेरिटरी में हो, चाहो तो इजेक्ट कर लो लेकिन राजकुमार ने इजेक्ट करने से मना कर दिया, जमीन से 600 फुट की ऊँचाई पर उड़ते हुए राजकुमार ने अदमपुर एयरबेस का रनवे देखा और उसकी ओर मुड़कर अपनी पहचान बताते हुए लैंडिग की परमिशन माँगी और परमिशन मिलते ही सुरक्षित लैंड किया। लैंडिंग के बाद राजकुमार ने देखा उनके पास केवल 3 मिनट की उड़ान का फ़्यूल और शेष था। 


सरगोधा पर हमला पूरी तरह से सफल रहा था, सभी ने अपने टारगेट्स हिट किये थे और सबसे बड़ी बात थी कि दिन की रोशनी में पाकिस्तान के सबसे मजबूत और सबसे सुरक्षित एयरबेस पर की गई इस सफल बॉम्बिंग रेड ने पाकिस्तानियों के हौसले को करारी चोट दी थी। स्क्वॉड्रन को केवल इस बात का दुःख था कि उनका एक साथी लापता था और उसकी कोई ख़बर नहीं थी। देवैय्या को मिसिंग इन एक्शन घोषित किया गया और जब उनका कोई पता नहीं मिला तो उन्हें मृत मान लिया गया। करीब 22 साल बाद 1980 में पाकिस्तान एयरफोर्स ने एक अंग्रेज पत्रकार के सामने स्वीकार किया की 7 सितंबर की भोर की रेड में उन्होंने भारतीय डेसॉल्ट मिस्टर फाईटर के मुकाबले अपना एक 104 स्टार फाईटर खोया है। दोनों पायलट्स ने एक दूसरे को हिट किया था, पाकिस्तानी पायलट ने इजेक्ट किया और सुरक्षित बच गया लेकिन भारतीय पायलट अपने फाईटर के साथ नीचे गिरा। इस रहस्योद्घाटन के बाद वायुसेना ने कहा की वो भारतीय पायलट स्क्वॉड्रन लीडर देवैय्या थे क्योंकि उस रेड में केवल वही वापस नहीं लौटे थे और उनके बारे में किसी को खबर नहीं थी साथ ही अन्य किसी साथी पायलट ने 104 स्टार फाईटर को मार गिराने का दावा नहीं किया था। एयरफोर्स ने रिकॉर्ड निकाले, प्रमाण दिए और और रक्षा मंत्रालय पर खूब दबाव डाला तब जाकर 1988 में देवैय्या को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया, 1965 के युद्ध के 22 साल बाद। देवैय्या भारतीय वायुसेना के इकलौते ऐसे योद्धा हैं जिन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया है। 


1965 की लड़ाई में पाकिस्तान अपनी एयर सुपिरियोरिटी के तमाम दावे पेश करता रहा कि देखो हमने इतने भारतीय विमान नष्ट किये लेकिन अगर तथ्यों के प्रकाश में देखें तो पाकिस्तान ने अधिक भारतीय विमान इसलिए नष्ट किये क्योंकि उस समय भारतीय वायुसेना अर्ली वॉर्निंग राडारों से सज्ज नहीं थी, पाकिस्तानी जेट्स आते और जमीन पर खड़े जहाजों को निशाना बना लेते जबकि पाकिस्तानी पायलट्स को हवा में मुकाबले के दौरान नाकों चने चबाने पड़ जाते थे और हर बार अच्छे फाईटर, अच्छे राडार, अच्छी मिसाइलों के बावजूद भारतीय पायलटों से पिटकर ही जाते। और 1965 के ठीक 5 साल बाद 1971 के युद्ध में जब भारतीय वायुसेना पूरी तरह से के तैयार थी तब पाकिस्तानियों को झूठे दावे करने के भी मौके नहीं मिले। 1971 में ढाका में सरेंडर करने के बाद जब एक एयरफोर्स ऑफिसर ने कुटिल मुस्कान छोड़ते हुए नियाज़ी से पूछा कि जनरल साब आपने इतनी जल्दी सरेंडर क्यों कर दिया तो लगभग रोते हुए नियाजी ने उस ऑफिसर के सीने पर लगे फाईटर पायलट विंग्स पर उँगली रखते हुए कहा। "It's because of you guys."


नभः स्पृश दीप्तम्।।

Touch the sky with glory.

90 वें वायुसेना दिवस के अवसर पर वायुसेना के सभी अमर बलिदानियों व योद्धाओं को शत शत नमन!! 

Happy Hunting guys!

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