#कृषि_और_नक्षत्र_भाग_3
वर्षा के सम्बंध में घाघ और भड्डरी का अनुभव बड़े काम का है,और उनका प्रकृति निरीक्षण तो और अद्भुत है। गौरैया, गिरगिट, बकरी, साँप ,मेंढक, चींटी, आकाश , बादल और हवा के क्रियाकलापों का निरीक्षण करके मौसम का सटीक अनुमान लगाया है।
सबसे विलक्षण यह बात है,कि माघ और पौष का वातावरण देख कर सावन और भाद्रपद में वृष्टि का अनुमान लगाया जाता है जो विज्ञान भी नही बता सकता।
पौष और माघ वर्षा के गर्भाधान का समय है। इस समय हवा का घुमाव और बिजली, बादल देख कर सावन और भादो में कितनी वर्षा होगी ये सटीक अनुमान लगता है।
ज्येष्ठ वर्षा के गर्भस्राव का समय है यदि जेठ बिना बरसे बीत गया तो आशा की जाती है कि सावन और भादो में अच्छी वर्षा होगी।
वर्षा का गर्भ 196 दिनों में पकता है या ये कहें इन्ही दिनों में सारें अनुमान तय होते है।
12 राशियां और 27 नक्षत्र होतें है, और ऐसा माना जाता है कि सूर्य प्रत्येक चौदह दिन पर दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करता है, एक अपवाद को छोड़ कर! हस्त नक्षत्र को माना जाता है कि ये सोलह दिनों का होता है, ये अपने पहले वाले को दबा कर एक दिन पहले चढ़ता है और एक दिन बाद उतरता है।
हस्त को चार भागों में चार - चार दिनों में विभक्त किया गया है जिसे सोना, चांदी , तांबा और लौह का नाम दिया गया है ।
कहा जाता है कि जिस भाग में वर्षा होती है उसी अयस्क के मूल्य के अनुसार पैदावार होती हैं।
सूर्य कब किस नक्षत्र में प्रवेश करता जो अनुमानित हैं उसे हम अंग्रेजी के कैलेंडर के अनुसार लिख रहें है ताकि सबको ज्ञात हो जाये।
अश्विनी 13 अप्रैल
भरणी 27 अप्रैल
कृतिका 11मई
रोहिणी 25मई
मृगशिरा 07 जून
आद्रा 21 जून
पुनर्वशु 05 जुलाई
पुष्य 20जुलाई
अश्लेषा 03 अगस्त
मघा 16अगस्त
पूर्वा फाल्गुनी 30अगस्त
उत्तरा फाल्गुनी 13 सितंबर
हस्त 27 सितंबर
चित्रा 10 अक्टूबर
स्वाति 24अक्टूबर
विशाखा 06 नवम्बर
अनुराधा 19 नवम्बर
ज्येष्ठा 2 दिसंबर
मूल। 15दिसंबर
पूर्वाषाढ़ 27दिसंबर
उत्तराषाढ 10जनवरी
श्रवण 23जनवरी
धनिष्ठा 05फरवरी
शतभिषा 19फरवरी
पूर्वभाद्रपद 03मार्च
उत्तरभाद्रपद 16 मार्च
रेवती 30 मार्च
घाघ की कहावतों का संग्रह इतना विशाल है कि तनिक में समाप्त नही होगा ,फिर भी कुछ कहावतें यहां वर्णित हैं।
आदि न बरसे अद्रा, हस्त न बरसे निदान।
कहै घाघ सुनु घाघिनी, भये किसान-पिसान।।
अर्थात आर्द्रा नक्षत्र के आरंभ और हस्त नक्षत्र के अंत में वर्षा न हुई तो घाघ कवि अपनी स्त्री को संबोधित करते हुए कहते हैं कि ऐसी दशा में किसान पिस जाता है अर्थात बर्बाद हो जाता है।
आसाढ़ी पूनो दिना, गाज, बीज बरसन्त।
नासै लक्षण काल का, आनन्द माने सन्त।।
अर्थात आषाढ़ माह की पूर्णमासी को यदि आकाश में बादल गरजे और बिजली चमके तो वर्षा अधिक होगी और अकाल समाप्त हो जाएगा तथा सज्जन आनंदित होंगे।
उत्तर चमकै बीजली, पूरब बहै जु बाव।
घाघ कहै सुनु घाघिनी, बरधा भीतर लाव।।
अर्थात यदि उत्तर दिशा में बिजली चमकती हो और पुरवा हवा बह रही हो तो घाघ अपनी स्त्री से कहते हैं कि बैलों को घर के अंदर बांध लो, वर्षा शीघ्र होने वाली है।
उलटे गिरगिट ऊंचे चढ़ै। बरखा होई भूइं जल बुड़ै।।
अर्थात यदि गिरगिट उलटा पेड़ पर चढ़े तो वर्षा इतनी अधिक होगी कि धरती पर जल ही जल दिखेगा।
करिया बादर जीउ डरवावै। भूरा बादर नाचत मयूर पानी लावै।।
अर्थात आसमान में यदि घनघोर काले बादल छाए हैं तो तेज वर्षा का भय उत्पन्न होगा, लेकिन पानी बरसने के आसार नहीं होंगे। परंतु यदि बादल भूरे हैं व मोर थिरक उठे तो समझो पानी निश्चित रूप से बरसेगा।
चमके पच्छिम उत्तर कोर। तब जान्यो पानी है जो।।
अर्थात जब पश्चिम और उत्तर के कोने पर बिजली चमके, तब समझ लेना चाहिए कि वर्षा तेज होने वाली है।
चैत मास दसमी खड़ा, जो कहुं कोरा जाइ।
चौमासे भर बादला, भली भांति बरसाइ।।
अर्थात चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को यदि आसमान में बादल नहीं है तो यह मान लेना चाहिए कि इस वर्ष चौमासे में बरसात अच्छी होगी।
जब बरखा चित्रा में होय। सगरी खेती जावै खोय।।
अर्थात यदि चित्रा नक्षत्र में वर्षा होती है तो संपूर्ण खेती नष्ट हो जाती है। इसलिए कहा जाता है कि चित्रा नक्षत्र की वर्षा ठीक नहीं होती।
माघ में बादर लाल घिरै। तब जान्यो सांचो पथरा परै।।
अर्थात यदि माघ के महीने में लाल रंग के बादल दिखाई पड़ें तो ओले अवश्य गिरेंगे। तात्पर्य यह है कि यदि माघ के महीने में आसमान में लाल रंग दिखाई दे तो ओले गिरने के लक्षण हैं।
रोहनी बरसे मृग तपे, कुछ दिन आर्द्रा जाय।
कहे घाघ सुनु घाघिनी, स्वान भात नहिं खाय।।
अर्थात घाघ कहते हैं कि हे घाघिन! यदि रोहिणी नक्षत्र में पानी बरसे और मृगशिरा तपे और आर्द्रा के भी कुछ दिन बीत जाने पर वर्षा हो तो पैदावार इतनी अच्छी होगी कि कुत्ते भी भात खाते-खाते ऊब जाएंगे और भात नहीं खाएंगे।
सावन केरे प्रथम दिन, उवत न दीखै भान।
चार महीना बरसै पानी, याको है परमान।।
अर्थात यदि सावन के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को आसमान में बादल छाए रहें और प्रात:काल सूर्य के दर्शन न हों तो निश्चय ही 4 महीने तक जोरदार वर्षा होगी।
दिन में गरमी रात में ओस,
कहे घाघ तब बरसा कोस।।
यदि दिन में गरमी और रात में ओस पड़ने लगे तब समझिए कि वर्षा कोसों दूर है।
पानी बरसे आधा पूष।
आधा गेहूं आधा भूस।।
यदि पौष मास में पानी बरसता है तो समझिए आधा गेंहू और आधा भूसा होगा। यानी बहुत अनाज होगा।
लगे अगस्त फूले बन कांसा।
तब छोड़ो वर्षा की आशा।।
जब आकाश में अगस्त तारा उदित होनें लगे और वन में कांसा का फूल खिले तब वर्षा की उम्मीद त्याग देनी चाहिए।
तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस में उल्लेख किया हैं कि,
"उदित अगस्त पंथ जल सोखा" ।
वायु में जब वायु समाय।
कहे घाघ जल कहां समाय?
जब वायु एक साथ आमने सामने बहने लगे तो इतना जल होगा कि जल रखने की जगह नही बचेगी।
माघ अंधेरी सप्तमी।
मेह विज्जु दमकन्त।।
चार मास बरसे सही।
मत सोचे तू कंत।।
माघ मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी को यदि बिजली चमके तो बरसात में वर्षा अच्छी होती है , चिंता नहीं करना चाहिए।
क्रमशः
अनूप राय
वर्षा के सम्बंध में घाघ और भड्डरी का अनुभव बड़े काम का है,और उनका प्रकृति निरीक्षण तो और अद्भुत है। गौरैया, गिरगिट, बकरी, साँप ,मेंढक, चींटी, आकाश , बादल और हवा के क्रियाकलापों का निरीक्षण करके मौसम का सटीक अनुमान लगाया है।
सबसे विलक्षण यह बात है,कि माघ और पौष का वातावरण देख कर सावन और भाद्रपद में वृष्टि का अनुमान लगाया जाता है जो विज्ञान भी नही बता सकता।
पौष और माघ वर्षा के गर्भाधान का समय है। इस समय हवा का घुमाव और बिजली, बादल देख कर सावन और भादो में कितनी वर्षा होगी ये सटीक अनुमान लगता है।
ज्येष्ठ वर्षा के गर्भस्राव का समय है यदि जेठ बिना बरसे बीत गया तो आशा की जाती है कि सावन और भादो में अच्छी वर्षा होगी।
वर्षा का गर्भ 196 दिनों में पकता है या ये कहें इन्ही दिनों में सारें अनुमान तय होते है।
12 राशियां और 27 नक्षत्र होतें है, और ऐसा माना जाता है कि सूर्य प्रत्येक चौदह दिन पर दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करता है, एक अपवाद को छोड़ कर! हस्त नक्षत्र को माना जाता है कि ये सोलह दिनों का होता है, ये अपने पहले वाले को दबा कर एक दिन पहले चढ़ता है और एक दिन बाद उतरता है।
हस्त को चार भागों में चार - चार दिनों में विभक्त किया गया है जिसे सोना, चांदी , तांबा और लौह का नाम दिया गया है ।
कहा जाता है कि जिस भाग में वर्षा होती है उसी अयस्क के मूल्य के अनुसार पैदावार होती हैं।
सूर्य कब किस नक्षत्र में प्रवेश करता जो अनुमानित हैं उसे हम अंग्रेजी के कैलेंडर के अनुसार लिख रहें है ताकि सबको ज्ञात हो जाये।
अश्विनी 13 अप्रैल
भरणी 27 अप्रैल
कृतिका 11मई
रोहिणी 25मई
मृगशिरा 07 जून
आद्रा 21 जून
पुनर्वशु 05 जुलाई
पुष्य 20जुलाई
अश्लेषा 03 अगस्त
मघा 16अगस्त
पूर्वा फाल्गुनी 30अगस्त
उत्तरा फाल्गुनी 13 सितंबर
हस्त 27 सितंबर
चित्रा 10 अक्टूबर
स्वाति 24अक्टूबर
विशाखा 06 नवम्बर
अनुराधा 19 नवम्बर
ज्येष्ठा 2 दिसंबर
मूल। 15दिसंबर
पूर्वाषाढ़ 27दिसंबर
उत्तराषाढ 10जनवरी
श्रवण 23जनवरी
धनिष्ठा 05फरवरी
शतभिषा 19फरवरी
पूर्वभाद्रपद 03मार्च
उत्तरभाद्रपद 16 मार्च
रेवती 30 मार्च
घाघ की कहावतों का संग्रह इतना विशाल है कि तनिक में समाप्त नही होगा ,फिर भी कुछ कहावतें यहां वर्णित हैं।
आदि न बरसे अद्रा, हस्त न बरसे निदान।
कहै घाघ सुनु घाघिनी, भये किसान-पिसान।।
अर्थात आर्द्रा नक्षत्र के आरंभ और हस्त नक्षत्र के अंत में वर्षा न हुई तो घाघ कवि अपनी स्त्री को संबोधित करते हुए कहते हैं कि ऐसी दशा में किसान पिस जाता है अर्थात बर्बाद हो जाता है।
आसाढ़ी पूनो दिना, गाज, बीज बरसन्त।
नासै लक्षण काल का, आनन्द माने सन्त।।
अर्थात आषाढ़ माह की पूर्णमासी को यदि आकाश में बादल गरजे और बिजली चमके तो वर्षा अधिक होगी और अकाल समाप्त हो जाएगा तथा सज्जन आनंदित होंगे।
उत्तर चमकै बीजली, पूरब बहै जु बाव।
घाघ कहै सुनु घाघिनी, बरधा भीतर लाव।।
अर्थात यदि उत्तर दिशा में बिजली चमकती हो और पुरवा हवा बह रही हो तो घाघ अपनी स्त्री से कहते हैं कि बैलों को घर के अंदर बांध लो, वर्षा शीघ्र होने वाली है।
उलटे गिरगिट ऊंचे चढ़ै। बरखा होई भूइं जल बुड़ै।।
अर्थात यदि गिरगिट उलटा पेड़ पर चढ़े तो वर्षा इतनी अधिक होगी कि धरती पर जल ही जल दिखेगा।
करिया बादर जीउ डरवावै। भूरा बादर नाचत मयूर पानी लावै।।
अर्थात आसमान में यदि घनघोर काले बादल छाए हैं तो तेज वर्षा का भय उत्पन्न होगा, लेकिन पानी बरसने के आसार नहीं होंगे। परंतु यदि बादल भूरे हैं व मोर थिरक उठे तो समझो पानी निश्चित रूप से बरसेगा।
चमके पच्छिम उत्तर कोर। तब जान्यो पानी है जो।।
अर्थात जब पश्चिम और उत्तर के कोने पर बिजली चमके, तब समझ लेना चाहिए कि वर्षा तेज होने वाली है।
चैत मास दसमी खड़ा, जो कहुं कोरा जाइ।
चौमासे भर बादला, भली भांति बरसाइ।।
अर्थात चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को यदि आसमान में बादल नहीं है तो यह मान लेना चाहिए कि इस वर्ष चौमासे में बरसात अच्छी होगी।
जब बरखा चित्रा में होय। सगरी खेती जावै खोय।।
अर्थात यदि चित्रा नक्षत्र में वर्षा होती है तो संपूर्ण खेती नष्ट हो जाती है। इसलिए कहा जाता है कि चित्रा नक्षत्र की वर्षा ठीक नहीं होती।
माघ में बादर लाल घिरै। तब जान्यो सांचो पथरा परै।।
अर्थात यदि माघ के महीने में लाल रंग के बादल दिखाई पड़ें तो ओले अवश्य गिरेंगे। तात्पर्य यह है कि यदि माघ के महीने में आसमान में लाल रंग दिखाई दे तो ओले गिरने के लक्षण हैं।
रोहनी बरसे मृग तपे, कुछ दिन आर्द्रा जाय।
कहे घाघ सुनु घाघिनी, स्वान भात नहिं खाय।।
अर्थात घाघ कहते हैं कि हे घाघिन! यदि रोहिणी नक्षत्र में पानी बरसे और मृगशिरा तपे और आर्द्रा के भी कुछ दिन बीत जाने पर वर्षा हो तो पैदावार इतनी अच्छी होगी कि कुत्ते भी भात खाते-खाते ऊब जाएंगे और भात नहीं खाएंगे।
सावन केरे प्रथम दिन, उवत न दीखै भान।
चार महीना बरसै पानी, याको है परमान।।
अर्थात यदि सावन के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को आसमान में बादल छाए रहें और प्रात:काल सूर्य के दर्शन न हों तो निश्चय ही 4 महीने तक जोरदार वर्षा होगी।
दिन में गरमी रात में ओस,
कहे घाघ तब बरसा कोस।।
यदि दिन में गरमी और रात में ओस पड़ने लगे तब समझिए कि वर्षा कोसों दूर है।
पानी बरसे आधा पूष।
आधा गेहूं आधा भूस।।
यदि पौष मास में पानी बरसता है तो समझिए आधा गेंहू और आधा भूसा होगा। यानी बहुत अनाज होगा।
लगे अगस्त फूले बन कांसा।
तब छोड़ो वर्षा की आशा।।
जब आकाश में अगस्त तारा उदित होनें लगे और वन में कांसा का फूल खिले तब वर्षा की उम्मीद त्याग देनी चाहिए।
तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस में उल्लेख किया हैं कि,
"उदित अगस्त पंथ जल सोखा" ।
वायु में जब वायु समाय।
कहे घाघ जल कहां समाय?
जब वायु एक साथ आमने सामने बहने लगे तो इतना जल होगा कि जल रखने की जगह नही बचेगी।
माघ अंधेरी सप्तमी।
मेह विज्जु दमकन्त।।
चार मास बरसे सही।
मत सोचे तू कंत।।
माघ मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी को यदि बिजली चमके तो बरसात में वर्षा अच्छी होती है , चिंता नहीं करना चाहिए।
क्रमशः
अनूप राय
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